श्री नाथजी का बालाष्टक नं . 1 

ॐ गुरुजी प्रथम सिमरण गुरुजी का करलो हृदय में ज्ञान प्रकाशकम् 

श्री आदि योग युगादि ब्रह्मा सेवित शिव माधवम् श्री बाले गोरक्ष के 

चरण प्रणाम्यहम् , जय श्री नाथजी के चरण प्रणाम्यहम् । जै हो जती 

गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् – श्री गुरुजी के चरण प्रणाम्यहम् ।। 1 ।। 

ॐ गुरुजी बाल जती गुरु ब्रह्मज्ञानी घट ही ज्योति प्रकाशकम् 

उदित भानु हसन्त कमला श्री बाले गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम्  2  

ॐ गुरुजी रहित निशदिन अगम अगोचर सिद्ध ज्ञान प्रकाशिकम् 

श्री जपत सुरनर देव मुनिजन श्रीबाले गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् ॥3 || 

ॐ गुरुजी आकाश धूना पाताल मण्डल पवन सङ्गम साहेरा 

श्री अमर अयोनी जी का शुभिरण करलो श्री बाल गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् ।। 4 ।। 

ॐ गुरुजी आदि अन्त अनादि निर्भय रहत निशदिन उन्मुना 

श्री लक्ष चौरासी जीव योनियों के नाम रख दो श्री बाल गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् ॥5 ॥ 

ॐ गुरुजी जल तो अम्बर थल तो सागर सोहत कंठ में मेखला 

श्री कानों में कुण्डल विभूति आभरण श्री बाले गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् ।।6 ।। 

ॐ गुरुजी एक ज्योति गुरु सकल व्यापी कोटि कुंजर पराकरम् 

श्री मदनमोहन जी का मान रख लो श्री बाले गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् ॥ 7 ॥ 

ॐ गुरुजी आबू का मंडल द्वारका क्षेत्र गोरक्ष मढ़ी स्थान है 

श्री माधो प्रांची में श्री नाथजी ने रुक्मिणी जी को कंगन बान्ध्यो श्री बाल गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् ॥8 ॥ 

ॐ गुरुजी इतना श्री नाथजी का बालाष्टक पढ़त निशदिन कैलाश वासा सदा फलम् 

श्री देवकृष्ण श्रीनाथजी की शरण आयो श्री बाले गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् ॥ ( पूर्ववत् )