ॐ गुरुजी शिव जय जय गोरक्ष देवा श्री अवधू हर हर गोरक्ष देवा ।
सुर नर मुनि जन ध्यावत सुर नर मुनि जन सेवत ।
सिद्ध करैं सब सेवा श्री अवधू संत करैं सब सेवा ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥ 1 ॥
ॐ गुरुजी योग युगति कर जानत मानत ब्रह्म ज्ञानी ।
श्री अवधू मानत सर्व ज्ञानी ।
सिद्ध शिरोमणि राजत संत शिरोमणि साजत ।
गोरक्ष गुण ज्ञानी श्री अवधू गोरक्ष सर्व ज्ञानी ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥2 ॥
ॐ गुरुजी ज्ञान ध्यान के धारी गुरु सबके हो हितकारी ।
श्री अवधू सब के हो सुखकारी ।
गो इन्द्रियों के रक्षक सर्व इन्द्रियों के पालक ।
राखत सुध सारी श्री अवधू राखत सुध सारी।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥3 ॥
ॐ गुरुजी रमते श्रीराम सकल युग माहीं छाया है नाहीं ।
श्री अवधू माया है नाहीं ।
घट-घट गोरक्ष व्यापै सर्व घट श्रीनाथ जी विराजत ।
सो लक्ष मन मांही श्री अवधू सो लक्ष दिल मांही।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥ 4 ॥
ॐ गुरु जी भस्मी गुरु लसत शरीरा रजनी है अंगी।
श्री अवधू जगनी है संगी॥
वेद उच्चारे सो जानत योग विचारे सो मानत ।
योगी गुरु बहुरंगा श्री अवधू बाले गोरक्ष सर्व संगी।
शिव जय जय गोरक्ष देवा 5
ॐ गुरु जी कंठ विराजत सेली और श्रृंगी जत मत सुखी बेली।
श्री अवधू जत सत सुख मेली।
भगवा कंथा सोहत-गेरुवा अंचला सोहत ज्ञान रतन थैली
श्री अवधू योग युगति झोली ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥16 ॥
ॐ गुरुजी कानों में कुण्डल राजत साजत रवि चन्द्रमा ।
श्री अवधू सोहत मस्तक चन्द्रमा।
बाजत श्रृंगी नादा-गुरु बाजत अनहद नादा-गुरु भाजत दुःख द्वन्दा।
श्री अवधू नाशत सर्व संशय ॥
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥ 7 ॥
ॐ गुरु जी निंद्रा मारो गुरु काल संहारो-संकट के हो बैरी
श्री अवधू दुष्टन के हो बैरी करो कृपा सन्तन पर-गुरु दया पालो भक्तन पर शरणागत तुम्हारी
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥8 ॥
ॐ गुरुजी इतनी श्रीनाथ जी की सन्ध्या आरती
निश दिन जो गावे-श्री अवधु सर्व दिन रट गावे
वर्णी राजा रामचन्द्र स्वामी गुरु जपे राजा रामचन्द्र योगी
मनवांछित फल पावे श्री अवधू सुख सम्पत्ति फल पावे।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥9॥