॥ श्री ॥आरती॥ श्री ॥
कर्पूरगौरं करुणावतारं, संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् सदा वसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानी सहितं नमामी जय शिव ओंकारा हर जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्धाङ्गी धारा ॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजै । हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजै ॥ दो भुज चार चतुर्भुज दश भुज ते सोहे । तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे ।। अक्षमाला बनमाला रुंडमाला […]