गोरक्षनाथाष्टक नं. 3 

गोरक्षनाथ योगेन्द्र जगपति आगम निगम यश गावते 

शंकर शेष विरंचि शारद नारद वीणा बजावते 

श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् जय श्री नाथजी के चरण प्रणाम्यहम् 

जय हो जती गोरक्ष के जती गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् 

श्री गुरु जी के चरण प्रणाम्यहम् ॥1 ॥ 

बाल रूप यतीन्द्र जटाधर ध्यावते षड्मुख जती 

श्री रामचन्द्र वशिष्ठ हनुमत ध्रुव प्रह्लाद रती पती 

श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत् ॥2 ॥

सेली नाद सुकण्ठ साजत अनहद शब्द प्रकाशितम् 

अजर अमर अडोल आसन सुर नर मुनि मन रञ्जनम् 

श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत्. ॥3 ॥ 

अङ्ग भस्मी असङ्ग निर्मल उन्मुन ध्यान सदा रटन  

चन्द्र भानु समान लोचन कर्ण कुण्डल शोभितम् 

श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत् ॥ 4 ॥ 

अष्ट सिद्धि नव नाथ भैरव वीर चौसठ योगनी 

इन्द्र वरुण कुबेर सेवित मदन मोहन रुक्मणी 

श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत्. ॥15 ॥ 

उत्तर देश विचित्र गिरवर सर सरिता अगणित बहे 

साधक सिद्ध सुजान तज मद-मान निर्गुण ब्रह्म लहे 

श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत्. ॥6॥ 

सुर पुर नगर सुशंख रावल जाके सुर सुमिरन कियो 

यम फांस त्रास निवार भव दुःख सुन्दर तन स्थिर दियो 

श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत्. ॥7 ॥ 

परशु धर तप कठिन कीन्हो सागर तट मठ बान्धियो 

धुन्धुंकार निवारण हित मंजुनाथ जी प्रगट भयो 

श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत्. ॥8 ॥ 

श्रीपति नाथ सुनाथ अष्टक पढ़त विघ्न नशावहीं 

वर्णत पीर चौरंगी सोई नर मनवांछित फल पावहीं 

श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत्. ॥ १ ॥ 

ॐ गोरक्ष गोपालं-घड़ी-घड़ी के रक्षपालं-वृद्ध न बालं जीते 

यमकालं-प्रातःकाल मङ्गला श्रृंगार आरती धूप ध्यान की 

सिद्धो गुरुवरो! आदेश!! आदेश!!!