श्री नाथजी की मंगल आरती 

जय गोरक्ष योगी (श्री गुरुजी) हर हर गोरक्ष योगी । 

वेद पुराण बखानत, ब्रह्मादिक सुरमानत, अटल भवन भोगी।

 ॐ जय गोरक्ष योगी ॥ 1 ॥ 

बाल जती ब्रह्मज्ञानी योग युक्ति पूरे (श्री गुरुजी) योग युक्ति पूरे । 

सोहं शब्द निरन्तर (अनहद नाद निरन्तर) बाज रहे तूरे ।

 ॐ जय गोरक्ष योगी ॥ 2 ॥ 

रत्नजड़ित मणि माणिक कुण्डल कानन में (श्री गुरुजी) कुंडल कानन में 

जटा मुकुट सिर सोहत भस्मन्ती तन में। 

ॐ जय गोरक्ष योगी ॥3॥ 

आदि पुरुष अविनाशी निर्गुण गुणराशी (श्री गुरुजी) निर्गुण गुणराशी 

सुमिरण से अघ छूटे सुमिरन से पाप छूटे टूटे यम फाँसी । 

ॐ जय गोरक्ष योगी ॥ 4 ॥ 

ध्यान कियो दशरथ सुत रघुकुल वंशमणि (श्री गुरुजी) रघुकुल वंशमणि 

सीता शोक निवारक सीता मुक्त कराई मार्यो लंक धनी । 

ॐ जय गोरक्ष योगी ॥5॥ 

नन्दनन्दन जगवन्दन गिरधर वनमाली (श्री गुरुजी) गिरधर वनमाली 

निश वासर गुण गावत, वंशी मधुर वजावत, संग रुक्मणि बाली। 

ॐ जय गोरक्ष योगी ॥6॥

धारा नगर मैनावन्ती तुम्हरो ध्यान धरे (श्री गुरुजी) तुम्हरो ध्यान धरे

अमर किये गोपीचन्द अमर किये पूर्णमल संकट दूर करे ।

ॐ जय गोरक्ष योगी ॥7॥

चन्द्रावल लखरावल निजकर घात मरी (श्रीगुरुजी) निजकर घात मरी

योग अमर फल देकर 2 क्षण में अमर करी ।

ॐ जय गोरक्ष योगी ॥ 8 ॥

भूप अमित शरणागत जनकादिक ज्ञानी (श्री गुरुजी) जनकादिक ज्ञानी

मान दिलीप युधिष्ठर 2 हरिश्चन्द्र से दानी।

ॐ जय गोरक्ष योगी ॥ 9 ॥

वीर धीर संग ऋद्धि सिद्धि गणपति चंवर करे (श्री गुरुजी) गणपति चंवर करे

जगदम्बा जगजननी 2 योगिनी ध्यान धरे।

ॐ जय गोरक्ष योगी ।। 10 ॥

दया करी चौरंग पर कठिन विपति टारी (श्री गुरुजी) कठिन विपति टारी

दीनदयाल दयानिधि 2 सेवक सुखकारी ।

ॐ जय गोरख योगी ॥11॥

इतनी श्रीनाथ जी की मंगला आरती निशदिन जो गावे (श्री गुरुजी)

प्रातः समय गावे, भणत विचार परम पद (भर्तृहरि भूप अमर पद) सो निश्चय पावे।

ॐ जय गोरक्ष योगी ॥12॥

।। श्रीमद गोरक्षनाथाय नमः ।।