सद्गुरु देव श्री अमृतनाथजी की प्रार्थना

 

ॐ जय सद्गुरु दाताः ॐ जय सद्गुरु दाता । 

त्रिगुण रहित निर्वाणी जग में विख्याता ॥ ॐ जय ॥ 

चेतन रूप निरंजन आप पिता-माता । 

भक्तन के हितकारी सदा सुखी नाता ॥ ॐ जय ।। 

आदि सनातन देवा अगम ज्ञान – ज्ञाता । 

दुःख – हरता सुख-कर्ता सत्य रूप भाता ॥ ॐ जय ॥ 

मन के रोग मिटावन पावन पथ जाता । 

शील क्षमा गुण-आगर शरणागत त्राता ॥ ॐ जय ॥ 

शाँति रूप शरीरा नाशक भव-पीरा । 

सुख सागर के नीरा भक्तन के नाता ॥ ॐ जय ।। 

आदि पुरुष अविनाशी संतन घट-वासी । 

भव-सागर दुःख नाशी सतसुख के दाता ॥ ॐ जय ।। 

अगम अगोचर स्वामी आप अन्तर्यामी । 

अमर लोक के धामी संतन मन भाता ॥ ॐ जय ॥ 

सत्य रूप भय हारी कामादिक मारी। 

भक्तन के अघ-हारी पार नहीं पाता । ॐ जय ॥ 

श्री अमृतनाथजी दयाला हरिए भव-जाला । 

शंकर कर प्रतिपाला चरणन बलि जाता ॥ ॐ जय ॥