ॐ गुरुजी प्रथम सिमरण गुरुजी का करलो हृदय में ज्ञान प्रकाशकम्
श्री आदि योग युगादि ब्रह्मा सेवित शिव माधवम् श्री बाले गोरक्ष के
चरण प्रणाम्यहम् , जय श्री नाथजी के चरण प्रणाम्यहम् । जै हो जती
गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् – श्री गुरुजी के चरण प्रणाम्यहम् ।। 1 ।।
ॐ गुरुजी बाल जती गुरु ब्रह्मज्ञानी घट ही ज्योति प्रकाशकम्
उदित भानु हसन्त कमला श्री बाले गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् 2
ॐ गुरुजी रहित निशदिन अगम अगोचर सिद्ध ज्ञान प्रकाशिकम्
श्री जपत सुरनर देव मुनिजन श्रीबाले गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् ॥3 ||
ॐ गुरुजी आकाश धूना पाताल मण्डल पवन सङ्गम साहेरा
श्री अमर अयोनी जी का शुभिरण करलो श्री बाल गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् ।। 4 ।।
ॐ गुरुजी आदि अन्त अनादि निर्भय रहत निशदिन उन्मुना
श्री लक्ष चौरासी जीव योनियों के नाम रख दो श्री बाल गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् ॥5 ॥
ॐ गुरुजी जल तो अम्बर थल तो सागर सोहत कंठ में मेखला
श्री कानों में कुण्डल विभूति आभरण श्री बाले गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् ।।6 ।।
ॐ गुरुजी एक ज्योति गुरु सकल व्यापी कोटि कुंजर पराकरम्
श्री मदनमोहन जी का मान रख लो श्री बाले गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् ॥ 7 ॥
ॐ गुरुजी आबू का मंडल द्वारका क्षेत्र गोरक्ष मढ़ी स्थान है
श्री माधो प्रांची में श्री नाथजी ने रुक्मिणी जी को कंगन बान्ध्यो श्री बाल गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् ॥8 ॥
ॐ गुरुजी इतना श्री नाथजी का बालाष्टक पढ़त निशदिन कैलाश वासा सदा फलम्
श्री देवकृष्ण श्रीनाथजी की शरण आयो श्री बाले गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् ॥ ( पूर्ववत् )