श्री गुरु वंदना
गुरुदेव दया करके, मुझको अपना लेना ।
मैं शरण पड़ा तेरी, चरणों में जगह देना ॥ टेर ।।
करुणानिधि नाम तेरा, करुणा दिखला जावो ।
सोये हुए भाग्यों को, हे नाथ जगा जाओ।
मेरी नाव भंवर डोले, इसे पार लगा देना | टेर ॥
तुम सुख के सागर हो, निर्धन के सहारे हो ।
इस तन में समाये हो, मुझे प्राणों से प्यारे हो ।
नित माला जपूँ तेरी, नहीं दिल से भुला देना ॥ टेर ॥
पापी हूँ या कपटी हूँ, जैसा भी हूँ तेरा हूँ ।
घरबार छोड़कर मैं, जीवन से खेला हूँ ।
दुख का मारा हूँ मैं, मेरे दुखड़े मिटा देना | टेर॥
मैं सबका सेवक हूँ, तेरे चरणों का चेला हूँ ।
नहीं नाथ भुलाना मुझे, इस जग में अकेला हूँ ।।
तेरे दर का पुजारी हूँ, मेरे दोष मिटा देना | टेर ।