बजरंगबली मेरी नाव चली, जरा बल्ली कृपा की लगा देना ।
मुझे रोग ने, शोक ने घेर लिया, मेरे ताप को नाथ मिटा देना || टेर ।
मैं दास तो आपका जन्म से हूँ, बालक और शिष्य भी धर्म से हूँ ।
बेशर्म, विमुख निज कर्म से हूँ, चित से मेरा दोष भुला देना ।। टेर ।
दुर्बल हूँ, गरीब हूँ, दीन हूँ, मैं, निज-कर्म, क्रिया-गति क्षीण हूँ मैं ।
बलवीर तेरे आधीन हूँ मैं, मेरी बिगड़ी हुई को बना देना ॥ टेर ॥
बल दे के मुझे निर्भय कर दो, यश-कीर्ति मेरी अक्षय कर दो।
मेरे जीवन को सुखमय कर दो, सर जीवन लाके पिला देना ।। टेर ।
करुणा-निधि आपका नाम भी है, शरणागत ‘राधेश्याम’ भी है।
इसके अतिरिक्त यह काम भी है, श्रीरामजी से मोहे मिला देना | टेर ॥