भजन-1

बजरंगबली मेरी नाव चली, जरा बल्ली कृपा की लगा देना । 

मुझे रोग ने, शोक ने घेर लिया, मेरे ताप को नाथ मिटा देना || टेर । 

मैं दास तो आपका जन्म से हूँ, बालक और शिष्य भी धर्म से हूँ । 

बेशर्म, विमुख निज कर्म से हूँ, चित से मेरा दोष भुला देना ।। टेर । 

दुर्बल हूँ, गरीब हूँ, दीन हूँ, मैं, निज-कर्म, क्रिया-गति क्षीण हूँ मैं । 

बलवीर तेरे आधीन हूँ मैं, मेरी बिगड़ी हुई को बना देना ॥ टेर ॥ 

बल दे के मुझे निर्भय कर दो, यश-कीर्ति मेरी अक्षय कर दो। 

मेरे जीवन को सुखमय कर दो, सर जीवन लाके पिला देना ।। टेर । 

करुणा-निधि आपका नाम भी है, शरणागत ‘राधेश्याम’ भी है। 

इसके अतिरिक्त यह काम भी है, श्रीरामजी से मोहे मिला देना | टेर ॥