गोरक्ष नाथ सुनाथ निर्भय निर्विकार निरंजनम्
अजर अमर अडोल निश्चल श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम्
जय श्री नाथजी के चरण प्रणाम्यहम् जय हो जती गोरक्ष के
चरण प्रणाम्यहम्, श्री गुरुजी के चरण प्रणाम्यहम् ॥ 1 ॥
ब्रह्मा शेष महेश नारद अष्ट भैरव सिद्ध यति
ध्यावते दोउ पाद पङ्कज ध्यावते सिद्ध गणपति
श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत्, ॥2 ॥
अष्ट सिद्धि नवनिधि वन्दित ध्यावते रघुवर सिया
व्यास शुक प्रह्लाद सेवत सेविते हनुमत प्रिया
श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत्. ॥3 ॥
शुन्य मन्दिर करत आसन योग ध्यान सदा रटन
(रत) आत्म लाभ सन्तोष पूर्ण ।
श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत्. ॥4॥
मान नहीं अभिमान जाके कनक माटी एक समान
राग द्वैष अतीत मनसा ।
श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत्. ॥5
अङ्ग विभूति विराजत सुन्दर भाल तिलक त्रिलोचनम्
चन्द्र सूर्य अग्नि कहिये कर्ण कुण्डल अद्भुतम्
श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत्. ॥6॥
ज्ञान ध्यान अचिन्त्य मूर्ति आत्म ज्योति सदा शिव
त्रिगुण रूप अतीत तुय
श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत् ॥7॥
श्री कृष्णचन्द्र सु ध्यान कीन्हो कंस दुष्टादिक हनम्
षोडश नार सहस्र सुत पाइये अष्टचक्र ऊपर शोभितम्
श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत् ॥8 ॥
अक्षमाल विराजत सुन्दर चर्म चन्दन मृग धरं
त्राटक मुद्रा ज्ञान पूर्ण कथंते सनकादिकं
श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत्. ॥9॥
गोरक्ष अष्टक पद्धत निशदिन कैलाश वासा सदा शिवं
सर्व तीर्थ लभ्यते पुण्यं सर्व पाप विनाशनम्
श्री गोरक्ष के चरण प्रणाम्यहम् पूर्ववत् ॥10॥