|| आश्रम परिचय ||
महात्मा श्री शेरनाथ जी महाराज का जन्म सन् 1918 सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ तहसील के बासनी ग्राम में हुआ। श्री शेरनाथ जी महाराज का बचपन का नाम भानू था। आपका बचपन से ही भक्ति-भाव व सेवा कार्य में रूचि होने के कारण सन्यास की तरफ ही मन हो गया। और आप फतेहपुर शेखावटी के श्री अमृतनाथ आश्रम में पीर श्री ज्योतिनाथ जी महाराज के सम्पर्क में आये और महात्मा श्री शुभ नाथ जी के प्रथम शिष्य के रूप में सन्यास ग्रहण किया। आप बड़े ही तपस्वी व विचार के कर्मठ योगी थे। आपने 5 वर्ष तक फतेहपुर आश्रम में रहकर भण्डार, पूजा, भिक्षाटन, आश्रम सेवा, गौ सेवा आदि कार्य किये। इसके बाद गुरूजी से आज्ञा लेकर 5 वर्ष तक भारत वर्ष के सभी प्रमुख तीर्थों (चार धाम, दादश ज्योतिर्लिंग, हरिद्वार, गोरक्षपीठ) व मठों का भ्रमण किया। इसी दौरान श्री भानीनाथ जी महाराज का सान्निध्य आपको प्राप्त हुआ। आप श्री भानीनाथ जी महाराज के प्रिय सन्तों में से एक थे।
सन् 1947 में सीकर जिलें के आखिरी छोर पर एन एच – 52 पर रामगढ़ शेखावाटी के पास रूकनसर ग्राम के उत्तरी छोर पर सुन्दर रम्य टीलों पर आश्रम की स्थापना की ।